राजनीति के चक्कर में सम्बंधों को न करें बर्बाद । पढ़िए , डा० दीपक श्रीवास्तव का लेख
December 6, 2016 10:17 am
डा० दीपक श्रीवास्तव
मित्रता एक ऐसा रिश्ता है जिसको किसी जाति – धर्म और वर्ग, यहाँ तक कि सरहदों मेंं नहीं बाँधा जा सकता है । यह एक ऐसा पवित्र रिश्ता है जो केवल नि:स्वार्थ पर आधारित है । लेकिन मित्रता वही टिकाऊ होती है जो पवित्र हो, मित्रता त्याग और बलिदान मांगती है । यही मित्रता सभी रिश्तों से बड़ी होती है । इसलिए प्रिय मित्रों , राजनीति के चक्कर में आपसी सम्बन्ध न बर्बाद करें । अगर आपका कोई साथी आपसे अलग विचारधारा रखता है तो इसका कत्तई ये मतलब नहीं हैं कि वो देशद्रोही हैं । सरदार भगत सिंह कम्यूनिस्ट विचारधारा रखते थे । बिस्मिल आर्यसमाजी थे । नेहरू जी प्रजातंत्र में आस्था वाले थे और सब के सब देशभक्त थे । जब किसी को खून की जरुरत होती है तो शायद ही किसी पार्टी का नेता देने जाता हो , लेकिन आपका दोस्त जरूर जायेगा । जो आपके लिए खून दे सकता है । उससे वोट देने की बात पर बहस न करे , जैसे रिश्ते ऊपर वाला तय करता है औऱ निभाये जमीन पे जाते है ऐसे ही दोस्ती तो भगवान के घर तय होती है निभाई नीचे जाती है औऱ उसके लिये त्याग करना पडता है बलिदान देना पडता है । कही ऐसा न हो आप तर्क तो जीत जाये और सम्बन्ध हार जाय , जीवन में मतभेद तो हो सकता है पर मनभेद कभी ना होने दीजिए । यही जीवन का उद्देश्य भी होना चाहिए ।
( लेखक टीवी 100 के सिद्धार्थनगर के जिला संवाददाता हैं )