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डुमरियागंज लोकसभा : बाहरी उम्मीदवारों के लिए कितना मुफीद रहा । पढ़ें, पूरी खबर | Prabhav India

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Prabhav India News 

डुमरियागंज लोकसभा । अब जबकि चुनावी रणभेरी बज चुकी है तब प्रत्याशियों ने भी अपनी गोट बिछानी शुरू कर दी है, सभी नेता लड़ना चाहते हैं और जीतने का भी भरसक प्रयास करते हैं। किसके लिए कौन सी सीट अधिक मुफीद होगी उसपर उनकी नज़र काफ़ी चौकस होती है। मगर कुछ सीटें ऐसी होती हैं जहां की जनता की नब्ज़ बड़े से बड़ा नेता भी भांप नहीं पाता है। चूंकि लोकसभा चुनावों में कोई भी नेता कहीं से भी चुनाव लड़ सकता है, इसी वजह से अक्सर डुमरियागंज की लोकसभा सीट बाहरी नेताओं की पसन्द बनी रहती है, हालांकि यहां कि जनता अतीत में बाहरी नेताओ के लिए वोट के रुप में बड़ा निर्दयी फ़ैसला सुनाती रही है।

इतिहास और आंकड़े इसके गवाह हैं । शुरुआत 1991 के लोकसभा चुनाव से करते हैं कि जितने भी ज़िले के बाहर के प्रत्याशी चुनाव लड़े उनको जबरदस्त हार का मुख देखना पड़ा ।
आईए आपको आंकड़े के दुनिया में लिए चलते हैं जिसे प्रभाव इंडिया आप तक समझने के लिए पहुंचा रहा है ।
सन 1991 से 2019 लोकसभा के जितने चुनाव हुए उनमें से जितने भी कंडीडेट जिले के बाहर के किसी भी पार्टी से चुनाव लड़े, उनमें सभी का परिणाम अपेक्षित नहीं रहा ।
शुरुआत 1991लोकसभा से की जा रही है, 1991 में कांग्रेस की कद्दावर नेता श्रीमती मोहसिना किदवई भारी भरकम लाव लश्कर के साथ चुनाव लड़ी, इसके बाद भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा, उनको केवल 149631 वोट मिले । इसी वर्ष उस समय की दमदार पत्रकार सीमा मुस्तफा भी चुनाव लड़ी वह भी बाहर की थी उन्हें केवल 49553 वोट ही मिले ।
फिर जब 1996 का लोकसभा चुनाव आया तो डुमरियागंज से ही एक बार फिर तिवारी कांग्रेस से श्रीमती मोहसिना किदवई चुनाव मैदान में उतरी, इस बार भी उन्हें बुरी तरीके से हार का मज़ा स्थानीय वोटरों ने चखाया, उन्हें महज 32062 वोट मिले और उन्हीं के साथ इसी चुनाव में पत्रकार सीमा मुस्तफा भी पूरे धन बल के साथ चुनाव लड़ी थीं उन्हें तो केवल शर्मनाक संख्या में 3987 वोट ही मिले यानी हार का बहुत भारी अंतर उन्हें झेलना पड़ा ।
वर्ष 1996 का एक और आंकड़ा देख लीजिए, इसी डुमरियागंज लोकसभा से तब के बेहद प्रभावशाली बाहुबली नेता श्री अमरमणि त्रिपाठी भी चुनाव मैदान में उतरे थे , उनके भाषणों की भाषा शैली डुमरियागंज लोकसभा क्षेत्र की नुक्कड़ सभाओं में तालियों की गड़गड़ाहट के साथ सुनी जाती थी, लेकिन जब चुनाव परिणाम आया तो बहुत भारी अंतर से वह चुनाव हार गए और जीत स्थानीय प्रत्याशी को मिली।
एक बार फिर जब 1998 लोकसभा चुनाव की बारी आई तब इस बार भी बाहरी प्रत्याशियों में बीएसपी से खलीलाबाद निवासी श्री सुरेंद्र यादव चुनाव मैदान में उतरे, उनकी भी भाषा शैली आक्रामक और जनता के बीच तालियों के स्वागत करने वाली थी, इसके बाद भी वह स्थानीय वोटरों की बेरुखी का शिकार हो गए सिर्फ़ 96147 वोट मिले। वह भी बड़े भारी अन्तर से चुनाव हार गए । फिर 2004 के चुनाव में अविभाजित बस्ती सिद्धार्थनगर की डुमरियागंज से राजनीति की शुरूआत करने वाले श्री जगदंबिका पाल आए और उनको हार का सामना करना पडा, लेकिन जो उन्हें पहली बार वोट मिले उससे यह स्पष्ट हो गया कि उन्हे स्थानीय जनता ने बाहरी नहीं माना। फिर 2009 के चुनाव में कोई बाहरी नहीं आया और स्थानीय प्रत्याशियो के बीच जनता ने श्री जगदंबिका पाल को विजय दिलवाई।
अब आंकड़े 2014 के देखिए, इस बार डुमरियागंज से सांसद बनने का ख्वाब पाले मुस्लिमों के बीच में मसीहा के रूप में प्रचलित हो चुके बड़हलगंज के निवासी पीस पार्टी के चीफ़ डॉक्टर अयूब चुनाव मैदान में उतरे और उनको भी यहां की जनता ने बड़ी बेदर्दी से हरा दिया। उन्हें भी महज़ 99224 वोट मिले ।
यहां गौर तलब है कि डुमरियागंज क्षेत्र में मुसलमानो की आबादी 32% से ऊपर है । बावजूद बाहरी कंडीडेट होने के नाते मुस्लिमों ने भी डॉक्टर अय्यूब से किनारा कर लिया था ।
जब पिछला लोकसभा चुनाव 2019 में लड़ा गया, तब सपा बसपा गठबंधन से बाहरी प्रत्याशी के रूप में पूरे लाव लश्कर के साथ श्री आफताब आलम उतारे गए , उनको भी भारी शिकस्त का सामना करना पड़ा । इसी वर्ष बाहरी प्रत्याशी के रुप में पीस पार्टी से डॉक्टर अयूब के बेटे मोहम्मद इरफ़ान भी चुनाव लडे और इन्हें केवल और केवल 5757 वोट ही मिले।
फल स्वरुप लगातार तीसरी बार बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल तीसरी बार 105 321 वोटो से जीत दर्ज किया ।

बाहरी प्रत्याशियों के आंकड़े और परिणाम देखने से यह स्पष्ट हो रहा है कि जो डुमरियागंज लोकसभा क्षेत्र के निवासी नेता नहीं होते है उनको यहां की जनता सुनती तो जरूर है , उम्मीदवारों को चुनाव में भरम की स्थिति में भी डाल देती है । लेकिन , जब रिजल्ट आता है तो बाहरी प्रत्याशियों के लिए बहुत ही निराशाजनक होता है।
फिलहाल समाचार लिखे जाने तक बीजेपी कंडीडेट और मौजूदा सांसद श्री पाल ही चुनाव मैदान में हैं।
जबकि डुमरियागंज लोकसभा क्षेत्र में वोटिंग 25 मई को होगी।

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