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विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ ने युवा लेखक जीएच कादिर को विद्यावाचस्पति उपाधि से किया सम्मानित, लोगों में खुशी की लहर

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Prabhav India Reporter

सिद्धार्थनगर । मानव संसाधन मंत्रालय से सम्बद्ध तथा राष्ट्रभाषा हिन्दी एवं लोक भाषाओं के प्रचार-प्रसार और विकास के लिए समर्पित विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ भागलपुर द्वारा आयोजित 24वें अधिवेशन सह सम्मान कार्यक्रम में सिद्धार्थनगर ज़िले के डुमरियागंज तहसील के हल्लौर निवासी चर्चित युवा लेखक एवं साहित्यकार जीएच कादिर को ”विद्या वाचस्पति उपाधि” से सम्मानित किया गया है ।

विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ द्वारा यह सम्मान सुदीर्घ हिन्दी सेवा, लेखन, शिक्षा, साहित्य,सारस्वत साधना, कला के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धियों, शैक्षिक प्रदेशों, शोध कार्य तथा राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा के आधार पर विद्यापीठ की अकादमिक परिषद की अनुशंसा पर दिया जाता है। डॉक्टरेट के समकक्ष की यह उपाधि साहित्य , लेखन,शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर और उल्लेखनीय कार्यों के लिए दी जाती है।

यह सम्मान उनके सतत साहित्य सृजन के लिए दिया गया। जीएच कादिर की अब तक प्रकाशित 2 किताबें है। और साहित्य के क्षेत्र में कई वर्षों से किए जा रहे कार्य और प्रयास सर्वविदित है । इसके पहले जीएच कादिर को देश विदेश में कई पुरस्कार मिल चुके हैं । उनकी किताब सिटी वर्सेज गांव काफ़ी चर्चित रही है और एक किताब का जल्द ही विमोचन होने वाला है तथा साहित्य के क्षेत्र में किए जा रहे आयोजन काफी चर्चित है ।

जीएच कादिर को डॉक्टरेट की उपाधि मिलने पर श्री अष्टभुज शुक्ल,साहित्यकार नियाज़ कपिलवस्तवी, यशोदा श्रीवास्तव, डॉक्टर भास्कर शर्मा, गुफरान मलिक आदि ने कहा का जीएच कादिर प्रतिभा के धनी हैं, साहित्य और लेखन, शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने उल्लेखनीय कार्य किया है, वह इस पुरस्कार के लिए डिजर्व कर रहें हैं, उन्होंने ज़िले का नाम रोशन किया है।
इनको बधाई देने वालों में पत्रकार अजय श्रीवास्तव, मेंहदी रिज़वी, विक्रांत श्रीवास्तव, गुलाम अली, राजेश यादव, वसीम अकरम, आफताब आलम, मोहम्मद इस्माइल, अहमद वहीद, रघुनंदन पाण्डेय,शैलेंद्र रावत, सुनील कुमार, अबूबक्र मलिक, आलोक आदि लोग शामिल रहें ।
हिन्दी व लोक भाषाओं के प्रति देश में भागलपुर स्थित विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ एकमात्र ऐसी संस्था है जो विद्या वाचस्पति की मानद उपाधि प्रदान करती है। उपाधि मिलने के बाद संबंधित साहित्यकार या कवि अपने नाम के आगे डॉ. लिखने का पात्र हो जाता है। ठीक उसी प्रकार जैसे पीएचडी उपाधि के बाद व्यक्ति डॉ. लिखता है ।

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