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Prabhav India | कभी-कभी खामोशी से की जाने वाली समाज सेवा ज़्यादा असरदार होती है : अफ़रोज़ मलिक

 

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जीएच कादिर

सिद्धार्थनगर/मुम्बई । ज़रूरी है कि समाज की हर सेवा का ढिंढोरा ही पीटा जाये । मौजूदा कोरोना महामारी के दौर में गरीबों और असहायों की जितनी भी मदद की जाये वह कम है । जो लोग मज़दूरी करके ही अपनी जीविका चलाते थे उनके लिए यह दौर ज़िंदगी का सबसे बुरा दौर है ।

उक्त बातें प्रभाव इण्डिया से बातें करते हुए जय हो फाउंडेशन के अध्यक्ष अफ़रोज़ मलिक ने कही । वह तो मूलतः डुमरियागंज के रहने वाले हैं लेकिन कर्मस्थली उनकी मुम्बई है । वह समाजसेवा को अपनी दिनचर्या मानते हैं। निःस्वार्थ भाव से सोशल वर्क करना अपनी आदत बताते हैं । लॉक डाउन के दौरान उन्होंने मुम्बई में रहने वाले ज़रूरतमंद सिद्धार्थनगर वासियों के लिए जो भी कुछ किया है, वह खुद नहीं बताते है लेकिन सचाई यह है कि गत 19 मार्च से ही प्रतिदिन 350 मज़दूरों की भोजन की व्यवस्था करते हैं और आजकल मुंबई से सिद्धार्थनगर आने वालों के लिए गाड़ी के बंदोबस्त में भी जानकारी होने पर सहयोग करते हैं । श्री अफ़रोज़ मलिक का कहना है कि समाजसेवा में उनको दिली सुकून मिलता है ।

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