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मिसाल : लखनऊ की मालिकी मस्जिद, जहाँ शिया और सुन्नी एक साथ पढ़ते हैं नमाज़, फरहाना मालिकी करती हैं मस्जिद की देखभाल

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जीएच कादिर ‘प्रभाव इंडिया’ के लिए

लखनऊ । मुफ्तीगंज में मालिकी मस्जिद मुसलमानों में फिरकापरस्ती के खिलाफ एक मिसाल है । इस मस्जिद में मुसलमान एक गेट से अंदर जाते हैं ,एक जगह वजू करते हैं और नीचे वाले पोर्शन में शिया समुदाय के लोग नमाज़ पढ़ते हैं और फर्स्ट फ्लोर पर सुन्नी समुदाय के लोग नमाज़ पढ़ते हैं ।

इस मस्जिद की तामीर और अहमियत के बारे में “प्रभाव इंडिया”से विशेष बातचीत करते हुए बेगमात रॉयल फैमिली ऑफ अवध की अध्यक्ष प्रिन्सेज फरहाना मालिकी ने बताया कि 90 के दशक में लखनऊ में शिया-सुन्नी में विवाद होता रहता था, लोग अपने फायदे के लिए दोनों समुदायों में  झगड़ा करवाते रहते थे । इससे मेरे वालिद प्रिंस नवाब ज़ैनुल मालिकी बहुत दुखी थे, उन्होंने शिया-सुन्नी की बढ़ती दूरियों को मिटाने के लिए मस्जिद का निर्माण करवाया । फरहाना मालिकी आगे कहती हैं कि मेरे पिता ने 1 नवम्बर 1992 को मस्जिद का निर्माण शुरू करवाया और 1993 को मस्जिद बनकर तैयार हुई, पहली नमाज़ 22 रमज़ान को हुई । उन्होंने कहा कि पिता की मौत के बाद वह मस्जिद की देखभाल करती हैं, मेरे बाद इस मस्जिद की देखभाल मेरी बेटी करेंगी । फरहाना मालिकी ने देश के हालात और इस्लाम की शिक्षाओ को देखते हुए हर जगह ऐसी ही मस्जिदों की ज़रूरत बताया । जहाँ सभी लोग एक साथ अल्लाह की इबादत कर सकें ।

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