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क्लास एक में पढ़ने वाली 6 वर्षीय रुमेशा ने रखा पहला रोज़ा, परिवार में खुशी का माहौल

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जीएच क़ादिर

पहली क्लास में पढ़ने वाली रुमेशा क़ाज़ी ने इस भीषण गर्मी में रोज़ा रखकर यह साबित कर दिया कि अल्लाह की राह में इबादत करने के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं होती है ।सूरज ढलने पर रोज़ा खोलने से पहले रुमेशा ने अपने नन्हें हाथों को उठाकर अल्लाह से दुआयें भी माँगी । मां फरहत जहाँ का कहना है कि बेटी रुमेशा कुरआन का एक कायदा(पाठ) पूरा पढ़ लिया है। रोज़ वह मेरे साथ नमाज़ भी पढ़ती है । रोजे के दिन जहां वयस्क लोग शाम होते-होते प्यास से तड़पने लगते हैं, वहीं 6 वर्षीय रुमेशा का अपने पहले रोजे के दिन लगभग 15 घंटों तक बगैर खाना-पानी के रहना एक कड़ा इम्तेहान था। जिसे नन्हीं बेटी ने बखूबी निभाया ।
डुमरियागंज के जबजौवा गाँव के रहने वाले क़ाज़ी रहमतुल्लाह ने बताया कि रमजान के इस पाक महीने में अपने घर का माहौल, जोश और आस्था देखते हुए बेटी रुमेशा ने रोजा रखने की इच्छा जताई और रखा। बेटी के कामियाबी से इस छोटी उम्र में रोज़ा पूरा कर लेने से वह और उनका परिवार बहुत खुश है । महबूब, इमरान, बेलाल,इनामुल्लाह,मूनिस, दानिश, आबिश,आरिज़ आदि के साथ रोज़ा रखने वाली रुमेशा के पहले रोज़े से इन लोगों ने खुशी ज़ाहिर किया है ।

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