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ट्रिपल तलाक़ फोबिया: वेश्याओं, शराब पीड़ितों और कन्या भ्रूण हत्या के बारे में कब होगी बात ?

vichar2“वर्तमान में, भारत में वेश्यावृत्ति 40,000 करोड़ रुपये का वार्षिक व्यापार हैं । कोई भी यह नहीं जानता की इस पैसे का क्या उपयोग किया जाता है । यह काला आगे अपराधों के एक दुष्चक्र को बढ़ावा देता है और इसके कारण समाज और अर्थव्यवस्था को कभी सही न हो पाने वाला नुकसान होता है। एक सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में लगभग 1 करोड़ सेक्स वर्कर हैं, जिसमें एक लाख अकेले मुंबई में हैं, जो एशिया का सबसे बड़ी सेक्स उद्योग केंद्र हैं। भारत में देह व्यापार में तीन से पांच लाख के करीब बच्चे हैं, जिनमें 80% केवल बैंगलोर सहित पांच शहरों में हैं ।”
जावेद जमील

हालाँकि मैं तीन तलाक का समर्थक नहीं, मैं खुद इसको इस्लामिक कानून की गलत व्याख्या मानता हूँ, बावजूद इसके मैं किसी भी समुदाय या संप्रदाय के निजी कानूनों में राज्य के हस्तक्षेप का समर्थन नहीं कर सकता | सच्चाई यह है कि भले ही कानून तीन तलाक पर रोक लगा दे लेकिन यह तब तक खत्म नहीं होने वाली जब तक धार्मिक विद्वान इसे अमान्य घोषित न कर दें। सच्चाई यह है कि तीन तलाक का विरोध मुस्लिम महिलाओं के समर्थन में कम बल्कि मुसलमानों को हाशिये पर रखने की कवायद ज्यादा है | अगर यह प्रतिबंधित भी कर दी जाती है तब भी ज़मीनी स्तर पर इसके ज़्यादा सुखद परिणाम देखने को नहीं मिलेंगे | यह सिर्फ उन लोगों के लिए फायदेमंद होगा जो अपने सम्प्रदाय के नियमों को तोड़ कर सुलह करना चाहते हों | ऐसे लोगों के लिए प्रतिबन्ध के बिना भी हल मौजूद है | वे लोग सुलह के लिए उन सम्प्रदाय के मुफ्तियों की पास भी जा सकते हैं जो तीन तलाक़ को नहीं मानते | लेकिन जिन लोगों का अपने सम्प्रदाय के नियमों में पूर्ण विश्वास है वे प्रतिबन्ध के बावजूद तीन तलाक के बाद साथ नहीं रहेंगे |

भाजपा सरकार एक स्पष्ट कॉर्पोरेट-सांप्रदायिक एजेंडे के साथ सत्ता में आई थी, और पिछले ढाई साल में इसके पर्याप्त सबूत है कि यह आक्रामक तरीके से अपने इस एजेंडा को लागू करने में कोई कमी नहीं छोड़ रही है | शायद ही ऐसा कोई दिन गुज़रता होगा जब मीडिया में कोई सांप्रदायिक मुद्दा न रहता होगा | लेकिन जब कोई कॉर्पोरेट एजेंडा किसी धार्मिक या सांप्रदायिक एजेंडा से खतरे का सामना होता है तब कॉर्पोरेट एजेंडा को ही हावी किया जाता है | अन्यथा, इस तथ्य को कैसे समझा जाए कि एक राजनेतिक पार्टी जो हिन्दू धर्म को अपना प्रेरणा स्रोत्र बताती है उसको कभी शराब के समाज पर दुष्प्रभाव, बढ़ते नंगपन और वेश्यावृति के बारे में चिंता क्यों नहीं हुई? यह सभी समस्याओं से महिलाएं ज़्यादा प्रभावित हैं | फिर शराब और वेश्यावृति पर प्रतिबन्ध के लिए कदम क्यों नहीं उठाये

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