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68 बरसों से 8वीं मोहर्रम की मजलिस पढ़ने वाले इक़बाल हुए सुपुर्दे ख़ाक | Prabhav India
January 24, 2024 7:40 am
जीएच कादिर/ प्रभाव इंडिया
उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले के हल्लौर कस्बे के रिटायर्ड फौजी इकबाल रजा का निधन हो गया । उन्हें मंगलवार शाम को उनके आबाई वतन हल्लौर में सुपुर्द ए खाक कर दिया गया । श्री इकबाल रजा 68 वर्षों से लगातार हल्लौर कस्बे में मोहर्रम की आठवीं मजलिस को संबोधित कर रहे थे । उनकी मौत से शिया समुदाय के लोगों में गम का माहौल है ।
सैयद इकबाल रजा मशहूर व मारूफ मर्सिया निगार मीर अनीस की मर्सिया को ज़बानी पढ़ते थे । बताते हैं कि मीर अनीस की करबला और मोहर्रम पर लिखी गई मर्सिया के अधिकांश लाइनों को मरहूम इकबाल रजा को जबानी याद थी । उनकी पढ़ी जाने वाली मोहर्रम की आठवीं की मजलिसों में हजारों की भीड़ उमड़ती थी । आठवी की खुसूसी मजलिस को जब वह अपने मखसूस अंदाज़ में मेंबर पर काले लिबास और काली टोपी में एक के बाद एक हजरत अब्बास की याद में जो मर्सिया वह पढ़ते थे, मानो ऐसा लगता था की कोई अदृश्य शक्ति उन पर सवार हो गई हो और उन्हें सुनने वाले अकीदतमंदों को एक अजीब कैफियत मालूम पड़ती थी और उनकी आंखों से आंसू बह जाते थे । उनके निधन से हल्लौर की अंजुमन गुलदस्ता मातम, अंजुमन फरोग मातम और तमाम संभ्रांत लोगों ने दुख व्यक्त किया है । जिसमें ताकीब रिज़वी प्रधान, गुलाम अली पूर्व प्रधान, कसीम रिजवी, काजिम राजा, तस्कीन हैदर, सावन हल्लौरी ,बेताब हल्लौरी, हसन जमाल , पूर्व प्रिंसिपल शकील अहमद, जैगम रिजवी, अर्शी रिज़वी, कैफ़ी रिज़वी,कामियाब हैदर बब्लू , नौरोज हैदर, महफूज़ रजा, बब्लू विलियम आदि ने दुख व्यक्त किया है ।
बेताब हल्लौरी ने कहा…
मशहूर शायर बेताब हल्लौरी ने कहा कि जाकिर ए फतह ए फुरात, पिछले 68 वर्षों से दरगाह हज़रत अब्बास अलैहिस्सलाम हल्लौर में आठवीं की तारीख की मजलिस पढ़ने वाले सैयद इकबाल रजा के इंतकाल से एक बहुत बड़ा नुकसान हुआ है । उनकी मौत ने हम लोगों को गमज़दा कर दिया है । उनकी कमी बहुत आसानी से पूरी नहीं की जा सकती है ।
सावन हल्लौरी ने कहा..
मशहूर शायर सावन हल्लौरी ने कहा कि सय्यद इकबाल रजा की खुसूसी तौर पर आठवीं मोहर्रम की मजलिस एक ऐसी मिसाल कायम करती थी जो उनकी मौत से आसानी से पूरी नहीं हो सकती है । वह एक अजीम शख्सियत थे । जो फौजी की नौकरी करते हुए भी लगातार 68 वर्षों से बिना गैर हाजिर हुए यह मजलिस पढ़ते थे । मीर अनीस की मर्सिया को जबानी उसकी बेमिसाल अदायगी करना इन्हीं के बस की बात थी। उनकी मौत ने हम सभी के लिए गमजदा करने वाली है ।